राजस्थान की पावन भुमी को प्रणाम करते है वीर परुषोँ और राजाओँ की भुमी को शत-शत नमन ।
दुर-दुर तक फेला मरूस्थल, बडे-बडे बालू रेत के टिल्ले, तपती धोपहरी, कंटिली झाँडीया और खेजडी, तेज धुल भरी चलती आँधीया, लम्बी दुरी तक कोई गाँव नही कुछ ऐसा ही है थार रेगीस्थान का मरूस्थल॥ राजस्थान के थार मरूस्थल की बात करते है तो यह चित्र हमारे आँखो के सामने उभर कर आता है॥ इस थार रेगीस्थान मेँ ऊँट बहुयात से पाले जाते है जिसमेँ राईका(रेबारी) जाति अग्रणीय है॥ रेतीले धोरो मेँ ऊँटो की चलती लम्बी कतारे, साथ मेँ पिछे चलते (राईका) रेबारी,हाथ मेँ लाठी, सिर पर लाल रूमाल(पगडी),सफेद रंग की धोती-कुर्ता, काख मेँ पावरी (किमती समान रखने का थेला), दुसरे हाथ की काख मेँ थामडीँया( दुध पिने का पात्र), बलशाली शरीर , आकास को छुती लम्बाई, बडी-बडी दाढी और मूँछे, गठीला शरीर कुछ इस तरह नजर आते है ऊँट पालक राईका समाज के लौग। विदेशी पर्यटको को रेबारीयोँ का कल्चर बहुत पंसद आता है हर वर्ष हजारो पर्यटक रेबारीयोँ का कल्चर देखने के लिए हर वर्ष आते है॥ इस थार " रेगीस्थान की जहाँज" के नाम विख्यात पशु (animal) ऊँट (camle) आज लुप्त होने की कंगार पर आ पहुँचा है। ऊँट पालक मरू राईका भी आज चारावाह और घटती आमदनी से व्याकुल है। सरकार को इसके लिए कोई ठोस कदम उठाने चाहिए॥ ऊँटो की घटती संख्या पर आज हम चितीँत है अगली पोस्ट मेँ हम ऊँटो की गिरती दर पर वार्तालाप करेगे हम जलद ही लेकर आ रहे है पढना ना भुले॥
5 टिप्पणियाँ
Very nice post sandip ji
जवाब देंहटाएंthanks indraj brother
जवाब देंहटाएंधन्यवाद इन्दराज जी राईका आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंjay ho dewasi raika rabari samaj
जवाब देंहटाएंThank u Bhupendar ji
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